...

4 views

*** दिल से ***
*** कविता ***
*** दिल से ***

" होश में मैं रह तो लूं ,
उनके नजदिकियों का ख्याल किस तरह ज़ाया करें ,
रहने दें इस खुमारी में ताउम्र ,
उन्हें भूला के अब कौन सा ग़म जरा लगाये दिल से ,
कहने को ये बात ही सिर्फ ,
अब कौन सी किसकी मुस्कान लाये दिल से ,
बिखर रही हैं सांसें दिल से ,
अब किसकी सांसों को धड़कन बनाये दिल से ,
होश में मैं रह तो लूं ,
अब भला किसकी तिसनगी उतारे दिल से किस के लिए ,
रुख हवाओं का किया हैं मैंने ,
उसकी महकती सांसों का जायजा कहीं मिल नहीं रहा दिल से ,
कहीं जो मिले सदा उसकी ,
ताउम्र के लिये दिल में पनाह दे दिल से ."

--- रबिन्द्र राम


© Rabindra Ram