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मैं क्या सवाल करूँ?
जो तुँ लिपटी रहे दामन से ताउम्र
जो तूँ बिछड़े पहले तो
मै क्या सवाल करूँ?
जो तूँ कुछ कहदे मेरे सब जानते हुए
एक वफाई की बात तो मैं
क्या सवाल करूँ?
जो तूँम देखती रहो किसी और थाम मेरा हाथ
मैं क्यों छिटकुँ
मैँ क्या सवाल करूँ?
मेरा दिल तो हार गया तुझपे
गर कोई जीत ले दिल तेरा
तो मैं क्या सवाल करूँ?
जो तूँ कहे मैं वो करूँ
तेरे झूठ को क्यों ना सच मानूँ
तेरे सच पे क्यों विचार करूँ?
तूँ कहदे है दुनिया झूठी
तूँ कहदे झूठा हुँ मैं भी,
तो मैं क्या सवाल करूँ?
जो तूँ फूल कहके
मेरे दामन को छली करदे,
जो तूँ आसमान मैं उठाके
पाताल मैं झोंक दे,
तो मैं क्या सवाल करूँ?
हाँ ये कहता मैं
हुँ मैं नादान थोड़ा
नहीं जानता की सच क्या? झूठ क्या?
वफ़ा क्या? बेवफाई क्या?
दुनिया नें हर तरफ से तोड़ कर
भी मुझे कहाँ - टूटे ही तो हो बिखरे कहाँ हो तुम,
बिखरना तो होगा तुम्हें
दुनिया का दस्तूर है,
हर चेहरे पे बेवफाई का नूर है
बिखरे बिना तुमने क्या सीखा भला,
बिखरे बिना क्या जाना दुनिया क्या?
दुनिया मैं रहने वाले क्या?
तुझे खुश रखने वाले क्या?
तुझे खुश रखने वालों के रंग क्या?
तुझे दुःख देने वालों को जानों
देखो कितने...