...

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क्या करें?
2122 2122 2122 212
इश्क़ में आए ये कैसे सिलसिलें है,क्या करें ,,
मुड़ गया तूँ हम वही पर ही खड़ें है ,क्या करें ,,

सोचा था,नाराज़गी में तूँ मना लेगा हमें
दाँव सारे हम पे ही उल्टे पड़ें है ,क्या करें ,,

दोस्ती की चादरों में छेद इतने क्यों हुए,
अब ज़हन से हम ही सबके गुम हुयें है ,क्या करें ,,

जो बिछड़ना था तुझे झगड़ा भी तो करता ज़रा
तल्ख़ी से बोलें है,,पर वो ना लड़ें हैं ,क्या करें ,,

तेरा ना दिल,ना ही चाहत ,ना ठिकाना है पता
लो तुझे फिर भी मनाने चल रहें है ,क्या करें ,,