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राज़-ए-दिल कहने की रात आई💞
मुद्दतों से खामोश नैनों में
अश्क़-ए-इश्क़ बहने की रात आई
दिल जो न कह सका
वही राज़-ए-दिल कहने की रात आई
उफ्फ ये शितम
सदमे में हम
मधुर मुस्कान
हथेली पर रख जान
मरते तो हो हम ही पर
अब
कह दो सनम
मोहब्बत को मोहोब्बत कह सके
फिर इत्मिनान की रात आई
तुम मेरे हो कामयत तक
इश्क़-ए-इज़हार की रात आई
© pari
अश्क़-ए-इश्क़ बहने की रात आई
दिल जो न कह सका
वही राज़-ए-दिल कहने की रात आई
उफ्फ ये शितम
सदमे में हम
मधुर मुस्कान
हथेली पर रख जान
मरते तो हो हम ही पर
अब
कह दो सनम
मोहब्बत को मोहोब्बत कह सके
फिर इत्मिनान की रात आई
तुम मेरे हो कामयत तक
इश्क़-ए-इज़हार की रात आई
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