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यादें
करन क्या पता किसीको.? की हम किस हाल में है
होगा सब बिखरा बिखरा,अब ढूंढने का बखत कहा है
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बंद आंख से हमारा एक जमाना जमीन में दफन हो गया
हम बेताब है ढूंढने को पर वो ठिकाना कहा है
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कौन कहेता है बंजर जमीन को बारिश की राह नही होती
बहुत यादें बोयी है पर उसकी उगने की निशानी कहा है


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