भरम
ख़ाक है पाई अंजुमन आराइयों में हमने
बेमेहर है पाई यार की याराइयों में हमने।
कभी अंजान कभी जान न पहचान सी पाई
हर घड़ी...
बेमेहर है पाई यार की याराइयों में हमने।
कभी अंजान कभी जान न पहचान सी पाई
हर घड़ी...