...

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जिंदगी
अपनी जिंदगी को कुछ इस तरह जिया है,
मैंने.........
खुद से ज्यादा दूसरों की खुशियों के लिए,
किया है मैंने...........
अपनी हर खुशी त्यागकर
दूसरों की झोली को खुशियों से भरा है
मैंने.........
दूसरों के भले का ज्यादा सोंचकर,
अपने आप को सिर्फ अलग पाया है
मैंने................
-पूजा कच्छवाह