...

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"आत्महत्या"
जीवन चक्र में ऐसा पल भी आता है,
जब जीवन से मन भर जाता है,
जिसे देखकर हम जीतें थे,
उसी के संग जीना दूभर हो जाता है।

आठो पहर सिर्फ अंधेरा दिखता है,
अस्मिता का खजाना टुकड़ों में बिकता है,
जितना खुद को सही साबित करने का प्रयास करो,
उतना ही अविश्वास अपनों में दिखता है।

अपने दुखों को सबसे बताना आसान नही होता,
कोई समझ के बदनाम न करे ऐसा इंसान नही होता,
दिल को होने लगता है यकीन इस बात पर,
इस दुनियां में कोई स्थायी मेहमान नही होता।

वक़्त से लड़कर जब मन टूट जाता है,
अपने परायों सबसे दिल रुठ जाता है,
छोटी सी ज़िन्दगी...