भय
काला अंधेरा और छाया सन्नाटा चारों तरफ है
पड़ती सुनाई रात्रि कीट भय कि वांसुरी आवाज है
गुंजन होती किट किट हड्डिधारी मानव के दन्त आवाज
उफ्फ ये भय क्या न करवाते है।
है बढ़ाया पग वह उस सुनसान...
पड़ती सुनाई रात्रि कीट भय कि वांसुरी आवाज है
गुंजन होती किट किट हड्डिधारी मानव के दन्त आवाज
उफ्फ ये भय क्या न करवाते है।
है बढ़ाया पग वह उस सुनसान...