...

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इंतज़ार ......
कुछ कागज़ के पन्नो पे
मेने बाते लिखी थी
कुछ जज्बातों से
कुछ मिले अनुभवों से लिखी थी

कलम की सियाहि से
मेने अपनी कहानी लिखी थी
उस हर एक खत पर
तेरे लोट आने की दुआ लिखी थी

जंग के मैदानों पे से
तेरे सुरक्षित घर लोट आने के बाद
कैसे बिताने है लम्हे
उसकी ख्वाइशे लिखी थी
कुछ कागज़ के पन्नो पे
मेने बाते लिखी थी

तेरे इंतज़ार में मेने मेरे
बिताए हुए हर पलो की
झलकी लिखी थी
कुछ कागज़ के पन्नो पे
मेने बाते लिखी थी

उन कोरे कागज़ पे
हमारे बच्चो की किलकारी लिखी थी
तेरे इंतज़ार में
तुझसे दूर बिताई उन सर्द रातों की कहानी लिखी थी
कुछ कागज़ के पन्नो पे
मेने बाते लिखी थी

तुझे देख पाने,तुझे चाहने की
तुझे सीने से लगाने की
तुझसे मिलने की ,उम्मीद से
मेने मेरे सब्र की बाते लिखी थी
कुछ कागज़ के पन्नो पे
मेने बाते लिखी थी।


© Dark Rose