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प्रतिक्षा
#प्रतिक्षा
स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
वसुधा पर फिर खिल आए हरे भरे वन,
सरिता से बाते करते हैं ऐ उपवन,
चंचल मन प्रेम का उत्पन्न,
बिछङे को पानेें को हैं मन
डर सें संकित हैं मन
प्रेम प्रतिझा में बीत न जाए जीवन,,
© Satyam Dubey