...

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दिल दिमाग मेरा ख्यालों से भरा.....
मैं किस दुनिया में रहती
मुझे खुद को समझ आता नहीं
हर घड़ी कुछ सोचे बिना
मुझसे रहा जाता नहीं,

कौन सी लत लगी है मुझको
दिमाग मेरा समझ पाता नहीं
ठान के आज कुछ नहीं सोचूंगी
दिल खुद को रोक पाता नहीं,

खाते - पीते, सोते - उठते
किसी और से मेरा कोई राबता नहीं
कौन आया, कौन गया
मुझको कोई फ़र्क पड़ता नहीं,

कोशिशें कितनी भी कर लू
कभी पूरा होता नहीं
कभी कभी लगता है
यह दुनिया मेरा बसेरा ही नहीं,

भूली भटकी मैं यहां पहुंची
और मेरे यहां से कोई नाता नहीं
मैं ख्यालों की शहजादी
मुझसे मेरा शहजादा रूठा
जो मुझे यहां से ले जाता नहीं,

दिल दिमाग ख्यालों से
इस कदर भरा पड़ा कि
मुझको कुछ और भाता नहीं
मानों दिल में मेरे कोई ऐसा बसा
जो जहन से मेरे कभी जाता नहीं।



© Sankranti chauhan