...

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स्नेहिल वाणी
गद्म लिखूं या पद्म,
होगें मेरे मन के ही शब्द,
भावों की अविरल सरिता में,
अतिसुन्दर लगे सारा जग !

चंहुओर खुशियाली हो,
सद्भाव की हरियाली हो,
पतित पावन भावों से भरी,
हर ओर स्नेहिल वाणी हो !!

©Mridula Rajpurohit✍️
🗓️ 2 February, 2022
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