स्नेहिल वाणी
गद्म लिखूं या पद्म,
होगें मेरे मन के ही शब्द,
भावों की अविरल सरिता में,
अतिसुन्दर लगे...
होगें मेरे मन के ही शब्द,
भावों की अविरल सरिता में,
अतिसुन्दर लगे...