...

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समय
एक समय वो भी होगा, जब तुम हतोत्साहित हुए बैठे होगे
किसी भावनात्मक सहारे की आस में, स्वयं को नितांत
अकेला स्वीकार ।

एक समय वो भी होगा, जब वहीं तुम घिरे होगें,
फोनों पर बधाईयों की घड़घड़ाहट से, हर कोई तुमसे घनिष्ठता
प्रकट करना अपना धर्म समझकर निभाएगा,

पर तुम भूलना नहीं इस चुभन को, खालीपन को,
जब थें तुम अकेले, और कोई न था, साथ तुम्हारे, सुनने को
तुम्हारा मौन क्रंदन ।।

©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 28 January, 2021
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