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आत्मविजय से विश्वविजेता
बिना साथ के जनम लिए, और बिना साथ के मरना है
नश्वर जीवन में जो भी है, सब तुम्हें अकेले करना है
ना भविष्य सुनिश्चित होता है, ना भाग्य की कोई माया है
तुमको ही अपने संघर्षों से, अपनी किस्मत को भरना है

ये संसार नहीं है रणभूमी है, क्षमता का संग्राम है ये
विजय-पराजय तुमसे ही है, साहस का परिणाम हैं ये
युद्ध में लड़ना ठान लिए तो, ज़द में सारी दुनिया होगी
त्याग दिए ग़र शस्त्र धैर्य का, तो जीते जी श्मशान है ये
तुम चयन करो अपनी ईच्छा से, मरना है या लड़ना है
तुमको ही अपने संघर्षों से, अपनी किस्मत को भरना है

त्याग दो ऐसे संकल्पों को, जिसमें दृढ़ता की धार न हो
विजय मार्ग पर कूँच करो तो, रुक जाना स्वीकार ना हो
पोंछ दो अपने अक्षुनीर को, परिहार करो हताशा का
ऐसी कोई आपत्ति नहीं, जिसकी कटुता का पार न हो
युद्ध छोड़ कर जीवन जीना, इस से बेहतर तो मरना है
तुमको ही अपने संघर्षों से, अपनी किस्मत को भरना है

जागो विद्युत की गति से, मुश्किलों पर अंतिम वार करो
जितनी बाधा हों ध्येय प्राप्ति में, उन सब का संहार करो
शिखर विजय करने से पहले, जीवन में विश्राम न हो
हृदय में ऐसी तीव्र, ओजस्वी, ऊर्जा का संचार करो
अजेय अभी तक जो नभ था, उस नभ में तुमको उड़ना है
तुमको ही अपने संघर्षों से, अपनी किस्मत को भरना है

मुझसे पूछो ग़र मेरे मत को, मैं तो यही बताऊँगा
हर विपरित परिस्थिति से मैं, डटकर आँख मिलाऊँगा
ग़र विश्व विजय की ईच्छा हो, और शूल भरे हों राहों पर
तो शूल के सीने पर चढ़कर के, मैं लक्ष्य को अपने पाऊँगा
जब मृत्यु सत्य है, अटल अजर है, तो फिर कैसा डरना है
मुझको ही अपने संघर्षों से, अपनी किस्मत को भरना है

© 𝑻𝒉𝒆 𝑺𝒉𝒖𝒃𝒉𝒂𝒎 𝑵𝒊𝒈𝒂𝒎 ™