मैं और तुम ....
मैने चाहा नही कभी ...
कि कोई कांटा चुभे तुम्हे,
छुपा लूं दिल में मैं तुम को
अगर कोई आंच छुए तुम्हे,
तुम्हारे कदम जहां पड़ें
वहां फूल मैं रख दूं ....
तुम्हारे रंज ओ गम सारे...
कि कोई कांटा चुभे तुम्हे,
छुपा लूं दिल में मैं तुम को
अगर कोई आंच छुए तुम्हे,
तुम्हारे कदम जहां पड़ें
वहां फूल मैं रख दूं ....
तुम्हारे रंज ओ गम सारे...