किसी की यादो हम
जब सूरज ढलते ही शाम हो जाती है।
जब आँखे अंधकार मे चली जाती है ।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है ।
जब रात के अंधेरो मे, उसकी याद आती है।
जब आँखे उसकी यादो मे, अक्सर नम हो जाती है ।
जब ये आँखे छत पर बैठे, उसके घर की ओर निहारती है।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है ।
जब अकेले कमरे मे हम रूठे हारे रेहते है
कोई सबंधी आकर हमसे, पढ़ाई की बात करते है।
जब दिदी डांटकर उसको, भुल जाने को केहती है ।
जब मम्मी अपने सेहथ का ख्याल रखो, ये केहकर हमे लिखाती है ।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है।
जब आँखे अंधकार मे चली जाती है ।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है ।
जब रात के अंधेरो मे, उसकी याद आती है।
जब आँखे उसकी यादो मे, अक्सर नम हो जाती है ।
जब ये आँखे छत पर बैठे, उसके घर की ओर निहारती है।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है ।
जब अकेले कमरे मे हम रूठे हारे रेहते है
कोई सबंधी आकर हमसे, पढ़ाई की बात करते है।
जब दिदी डांटकर उसको, भुल जाने को केहती है ।
जब मम्मी अपने सेहथ का ख्याल रखो, ये केहकर हमे लिखाती है ।
तब किसी की यादो मे हम, ऐसे गुम हो जाते है ।
उसको याद कर हम, खुद को भुल जाते है।