इंसान
क्या मिला राधे बता,
एक उम्र गुजार इंतजार में,
अब ज्यों की देखा हमने,
प्रलय है सामने खड़ा,
सोचा मुस्कुराके, देख आसमाँ,
पूछ लू खुदा से,
क्या उसने इंसान देखा है कही,
हुआ करता था,
मिला करता था नुक्कड़ पर,
हँस देता था मुझे देखके,
कुल्हड़ की चाय पिया करता था साथ,
मंदिरों में सजदे अदा किया करता था,
इतवार को सुकून मनाया करता था,
पता नहीं कहाँ चला गया,
रूठ कर गया,
या कोई ले गया उसे,
बता ख़ुदा तू बता सके तो,
जिंदा लाशों को चलते फिरते देखा है मैंने ।
©Radhe
एक उम्र गुजार इंतजार में,
अब ज्यों की देखा हमने,
प्रलय है सामने खड़ा,
सोचा मुस्कुराके, देख आसमाँ,
पूछ लू खुदा से,
क्या उसने इंसान देखा है कही,
हुआ करता था,
मिला करता था नुक्कड़ पर,
हँस देता था मुझे देखके,
कुल्हड़ की चाय पिया करता था साथ,
मंदिरों में सजदे अदा किया करता था,
इतवार को सुकून मनाया करता था,
पता नहीं कहाँ चला गया,
रूठ कर गया,
या कोई ले गया उसे,
बता ख़ुदा तू बता सके तो,
जिंदा लाशों को चलते फिरते देखा है मैंने ।
©Radhe