नीला समंदर
है वह नीला, आसमान से भी गहरा
खेलते हैं उसमें कइ जान
फिर वहती है लहु, शेष होता खेल
पुनः पनपता कई प्राण।
उसको रहती इंतजार, है वह ध्यान मग्न
कारण एक नई प्राण का आगमन,
पर जब होता आक्रमण, उस आगमन के पथ के उपर
तब भंग होता उसका कठोर ध्यान।
हृदय से उठता तब ,...
खेलते हैं उसमें कइ जान
फिर वहती है लहु, शेष होता खेल
पुनः पनपता कई प्राण।
उसको रहती इंतजार, है वह ध्यान मग्न
कारण एक नई प्राण का आगमन,
पर जब होता आक्रमण, उस आगमन के पथ के उपर
तब भंग होता उसका कठोर ध्यान।
हृदय से उठता तब ,...