...

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माँ
माँ मेरी परछाई जो तुम हो
साथ साथ चलती जो तुम हो
अच्छे बुरे की समझ तुम्ही तो समझाती हो
मेरे हर ख्याल में तुम हो
प्रकृति के कण कण में विद्दमान तुम हो
तुमसे से ही तो सृस्टि का आधार है
तुम्हारे बिना जीना तो निराधार है
मेरी तो भाग्य विधाता तुम हो
नवरात्रि में आगमन होता है तुम्हारा
मेरे तो जाने कब से ह्रदय में व्याप्त तुम हो
कैसे कह दूँ इस जहाँ में
मेरा कोई वजूद नहीं
तुझसे ही तो मेरा हर वजूद है
तेरे नाम से ही तो जुड़ा मेरा नाम है
वरना एक नाम के तो यहाँ कई इंसाँ हैं
छल कपट का तेरे यहॉं नहीं कोई दरकार है
मेरे यहाँ तो चलती माँ तेरी ही सरकार है
लिखना चाहूँ जो तुम्हें तो लिख नहीं पाती हूँ
तुम तो एक शब्द में ही सारा सँसार हो
इस मिट्टी की खुशबू में तुम हो
मेरी हर खुशी हर दर्द की पुकार में तुम हो
एक निवाला प्यार का आपके हाथों से जो
खा लेती हूँ
समस्त सँसार तुझमें ही देख लेती हूँ
कैसे बताऊँ माँ कैसे तुझे समझाऊँ माँ
अपनी हर सोच में तुम्हे ही पाती हूँ
मेरी मईया भी तू मेरे बप्पा भी तू
जग पूजे मूर्ति मैं पूजूँ तुझे
जिनके दस हाथ हैं
तू ही तो मेरी नईया की खेवैया
मेरे अन्तर्मन की तू पुकार है
मेरी हर लेखनी में तेरा ही स्वरूप तो विद्धमान है
तेरी शक्ति का बखान करूँ मैं क्या
तभी तो माँ नाम को पूजे ये सँसार है
तेरी ममता से ही तो टिका
आधुनिक युग का ये संसार है
देवी के नौ रूपों दिखती भारत की हर नारी है
कभी चण्डी कभी काली तो कभी ज्वाला बन
एक नारी पड़ती सबपे भारी है
वही नारी माँ बन ममतामयी
नाम से पहचानी जाती है
एक इसी शब्द के आगे फीके सारे बोल हैं
एक माँ शब्द ही दुनियाभर में अनमोल है
एक माँ शब्द ही दुनियाभर में अनमोल है
© Manju Pandey Choubey