...

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पन्नों की देह पर...
पन्नों की देह पर मोती से
शब्दों को आराम दूँ!
मौन की अभिव्यंजनाओं को
थोड़ा विराम दूँ!!

लहरों संग चाँद की ये
कुंवारी प्रीत लिख दूँ!
विरह वेदना है नभ-वसुंधरा की रीत,
लिख दूँ!!

बेमौसम का प्रेम लिखूँ प्रिय,
तुझे लिखूँ फाल्गुन!
ढ़ाई आखर प्रेम ने,
न देखे ...