...

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ग्रहण
बता रहा हु मै, ज़रा ध्यान दीजिए।
मेरी बात को पूरा सुने,
बेशक मेरा ऐताबार मत कीजिए।

ये कहानी किसी चिराग की है,
चिराग जल नही रहा, ज़रा सिरके हवा आने दीजिए।

हा तो मैं कह रहा था,
उफ भूल गया क्या कह रहा था।

याद आया मुझे, किसी का किस्सा बयान करने वाला था।
सदियों से रुका हुआ वक्त, एकदम चलने वाला था।

फिर यू हुआ की चांद को ग्रहण लग गया,
फिर यू ही हर कोई आसमान को ही तकने लग गया।

ये नज़ारा मुझे बर्दाश्त नहीं हो पाया ,
इसलिए मैं आपको सुनाने चला आया।

तो आप सलीके से इस ख़ाब की ताबीर पैश कीजिए,
सदका तो मैं अदा कर दूंगा, पर आप सलामती की दुआ दीजिए।

देखिए मैं झूठ नहीं बोलता हु,
गौरतलब आप भी मेरी सच्चाई मैं हामी भर दिजिए।

दरसल मैंने सलीके से सुनाया सब कुछ,
मसला तो कुछ और ही है।
खैर मुझे जाना होगा, आप रहने दीजिए।



© ALBAB QUDDUSI POET