...

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नारी
ना तुम कोने में पडी हुई, ना छुवाछुत से बंधी नारी हो...
तुम तो घराने को वंश देने वाली, पवित्र माहवारी हो...

यह लाल पेशीया, तुम्हारे जीगर को क्या तोल पायेगी...
तुम झांसी वाली मां चंडी हो, दुनिया ये ना भूल पायेगी... 

बेटो जैसा तुमने, जिम्मेदारियों को कांधे पर उठायां है...
खुद पढ़-लिखकर तुमने ही, पुरे परीवार को पढाया है...

माता पिता ने बेटी दे दी, इससे बढकर दहेज क्या...