महफ़िल में तमाशा
हर मोड़ के आगे हमेशा कोई रास्ता नहीं होता
एक उम्र के बाद हर किसी से वास्ता नहीं होता
अजी दिल्लगी थी, मैंने दिमाग की एक न सुनी
वो चीखता रहा, "रुक जाओ, मोहब्बत में क्या - क्या नहीं होता"
बिता दी सारी उम्र जिन्होंने बेशुमार दौलत को समेटने में,
काश समझ लेते, एक हद से ज़्यादा, समुंदर में भी इज़ाफ़ा नहीं होता
बस यहीं आकर भले लोग खा जाते हैं मात,...
एक उम्र के बाद हर किसी से वास्ता नहीं होता
अजी दिल्लगी थी, मैंने दिमाग की एक न सुनी
वो चीखता रहा, "रुक जाओ, मोहब्बत में क्या - क्या नहीं होता"
बिता दी सारी उम्र जिन्होंने बेशुमार दौलत को समेटने में,
काश समझ लेते, एक हद से ज़्यादा, समुंदर में भी इज़ाफ़ा नहीं होता
बस यहीं आकर भले लोग खा जाते हैं मात,...