10 views
पत्थर दिल हूं मैं
नाजुक-सा दिल मेरा मासूमियत संग लाया था
परिवार के साथ समझदारी को अपनाया था
कुछ हालातों से इतना घबराया कि कब रोया,सहमा और कैसे सम्भाला इसे खुद समझ नहीं आया था...
समझ ने अब तजुर्बे का रूप लिया,नाजुक से दिल ने खुद को चट्टान-सा ठोस किया
लेकिन इस चट्टान को भी तोड़ा गया,पत्थर का एक टुकड़ा बनाकर छोड़ा गया
ये पत्थर ही अब दिल बनकर धड़कता है,अब किसी के कुछ भी कहने से फर्क कहाँ पड़ता है
ये भी टूटा तो मेरा और कुछ ना रह जाएगा,नाजुक से लोगों दूर रहो ये पत्थर कहीं चुभ जाएगा
पत्थर दिल हूं मैं मैंने खुशी-खुशी माना है,अब पत्थर से हीरे में तराशे जाना है|
© Kanika
#WritcoQuote #selfbelieve #writer
परिवार के साथ समझदारी को अपनाया था
कुछ हालातों से इतना घबराया कि कब रोया,सहमा और कैसे सम्भाला इसे खुद समझ नहीं आया था...
समझ ने अब तजुर्बे का रूप लिया,नाजुक से दिल ने खुद को चट्टान-सा ठोस किया
लेकिन इस चट्टान को भी तोड़ा गया,पत्थर का एक टुकड़ा बनाकर छोड़ा गया
ये पत्थर ही अब दिल बनकर धड़कता है,अब किसी के कुछ भी कहने से फर्क कहाँ पड़ता है
ये भी टूटा तो मेरा और कुछ ना रह जाएगा,नाजुक से लोगों दूर रहो ये पत्थर कहीं चुभ जाएगा
पत्थर दिल हूं मैं मैंने खुशी-खुशी माना है,अब पत्थर से हीरे में तराशे जाना है|
© Kanika
#WritcoQuote #selfbelieve #writer
Related Stories
15 Likes
5
Comments
15 Likes
5
Comments