पत्थर दिल हूं मैं
नाजुक-सा दिल मेरा मासूमियत संग लाया था
परिवार के साथ समझदारी को अपनाया था
कुछ हालातों से इतना घबराया कि कब रोया,सहमा और कैसे सम्भाला इसे खुद समझ नहीं आया था...
समझ ने अब तजुर्बे का रूप लिया,नाजुक से दिल ने खुद को चट्टान-सा...
परिवार के साथ समझदारी को अपनाया था
कुछ हालातों से इतना घबराया कि कब रोया,सहमा और कैसे सम्भाला इसे खुद समझ नहीं आया था...
समझ ने अब तजुर्बे का रूप लिया,नाजुक से दिल ने खुद को चट्टान-सा...