...

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दर्द एक सफ़र
बुझा दो चिराग अंधेरे में मुझे रो लेने दो,
दिल के छाले अश्कों से मेरे धो लेने दो,

जल चुका है ज़मीर मेरा तल्ख़ लहजो से,
एक मुश्त ख़ाक़ तले अब मुझे सो लेने दो,

जिस मिट्टी में फसल आती ही नहीं कोई,
उसी में वफ़ा के बीज यारों मुझे बो लेने दो,

दर्द खींच रहे अपनी जानिब आहिस्ता से,
छोड़ो किर्तासो दामन उनका हो लेने दो,

हारने को कुछ बचा नहीं मेरे पास "नूर",
बाज़ी जान लगाकर जंग में इसे खो लेने दो,


© Noor_313