“विरह”
ताकती रहती हूँ उन राहों को
जिस राह से गुज़र कर
तू चला गया
सोचती रहती हूँ तुम को
जो देकर आसुओं की...
जिस राह से गुज़र कर
तू चला गया
सोचती रहती हूँ तुम को
जो देकर आसुओं की...