...

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दरख़्त....
सहते है सब,
मुस्कुराते है बस,
गलतियां सब हमारे नाम,
कुछ किया तो बदनाम,
कुछ न किया तो बदनाम,
बचपन से बुढ़ापे तक,
सुनते जाओ,सहते जाओ,
बहुत दर्द हुआ तो सिसकते जाओ,
कभी बेटा,कभी भाई,तो कभी बाप बनकर,
सबके अरमानों का हिसाब...