नदिया किनारे
छिपा सूरज दिन ढला,
मैं नदी किनारे चला।
देखा मैंने जब नज़र उठा कर,
अंधेरा मेरी ओर चला।
आंखों से जब सब ओझल हुआ,
सवाल मन में फिर आ चला।
क्या खेल है तेरा ये प्रकृति?
किस तरह से तूने है छला??
© शिवम् दुबे
© Shivam Dubey
मैं नदी किनारे चला।
देखा मैंने जब नज़र उठा कर,
अंधेरा मेरी ओर चला।
आंखों से जब सब ओझल हुआ,
सवाल मन में फिर आ चला।
क्या खेल है तेरा ये प्रकृति?
किस तरह से तूने है छला??
© शिवम् दुबे
© Shivam Dubey
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