...

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मैं कुछ यूँ
मैं कुछ यूँ अपने आप से मिल रही हूँ ।

कल से अपने आप को आज मे बेहतर कर ,
अपनी अच्छाइओं से अपनी बुराइयों का सामना कर रही हूँ ।

चिड़ियों की चैचाहटो मे अपने बचपन के दिन बुन रही हूँ ।

कठिनाईओं की लहरों से लड़के अपने सपनों को पूरा कर रही हूँ ।

हिम्मत से भरी , विशवास की राह पे चल रही हूँ ।

मैं कुछ यूँ , अपने आप से मिल रही हूँ ।



© a@radhya🦋