एक खत
वो छुप छुप कर चोरी चोरी इंतजार हमेशा करती है
आशियाने में रहकर तैयार वो खुद को करती है
आश बांधे खड़ी गलियारे में चांद को एक नज़र ही निहारे
आसमान से जब टूटे तारा वो प्रेम भरे खत लिखती है
नजरों में उसने रखकर सारे सपने...
आशियाने में रहकर तैयार वो खुद को करती है
आश बांधे खड़ी गलियारे में चांद को एक नज़र ही निहारे
आसमान से जब टूटे तारा वो प्रेम भरे खत लिखती है
नजरों में उसने रखकर सारे सपने...