...

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स्वयं की खोज
मैं स्वयं को न जाने कब से ढूँढ़ रहा हूँ

सामान्य से लेकर विशेष से भी मिला
चेतन से ही नहीं जड़ से भी पूछ रहा हूँ
मैं स्वयं को न जाने कब से ढूँढ़ रहा हूँ

कहाँ से आया हूँ कहाँ जाना है मुझे
आवारों की तरह दर दर भटक रहा हूँ
मैं स्वयं को न जाने...