...

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मन है थोड़ा उदास

मन है थोड़ा सा उदास
ना दिखे इसे अब कोई राह
भटके रातो में जाग जाग
सोचे क्यों उलझन है तमाम
चाहे उलझन सुलझाना ये
पर खुद उलझे ये बार बार
न दिशा है ना दशा है इसकी
पर चाहे कोई उम्मीद पास
सबको अपना माने ये
सब कोई इसके लिए समान
ना चाहता मरना हार कर ये
न मरना इसे होकर गुमनाम
ज़िन्दगी मिली है एक बार
सोचे ये हर दिन बार बार
जो करना है यही करना है
न मिलेगा मौका ये कई बार
माना आज ये पत्थर जैसा
पर कभी तो मिलेगा इसको आकार