...

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चले जाना ही: उत्तर
अच्छा लगा जान कर।
हमें देखतें रहें।
काबिल हर उस मौज के समझते रहें।
क्युकी,ये लिखा था या खुद भागी बने।
अपने अकेलेपन के राही थे,
इस राह में खुद गुम हो बैठे।
रातें भी पहले थोड़ी नम हो जाती थी।
गम की आँखों से हर तस्वीर धुँध में गड जाती थी।
अब थोड़ा रुखा सा है हर एक रुख रात का।
पर हाँ,पहले से अब ज्यादा अच्छा है।
हाँ,कुछ अपने से प्यार सा है।
शायद,पहले भी था पर कहीं खो गया था।
कुछ पाना था।
हाँ,उतरे थे मंजर में सोच कि देखेंगे,
क्या,अभी भी कर सकते दोस्ती?
जहाँ सब सजा रहे थे प्यार की महफिल।
कुछ हुआ या मिला भी नहीं होगा,
बिन मतलब की होती है क्या अभी भी यहां यारियाँ।
पाया,हाँ बहुत प्यारा सा अह्सास था।
वो हुआ एक अनजाने में।
आने पर तो उत्तर...