...

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//ग़ज़ल// बह्र- २१२२ १२१२ २२/११२
साफ़ तुझको दिखाई देता है
क्यों नज़र की दुहाई देता है

एक आवाज़ पर मुड़ा मतलब
ख़ूब तुझको सुनाई देता है

बेटियों की विदाई में हर बाप
उम्र भर की कमाई देता है

जो है क़ातिल वही है मुंसिफ़ भी
किसलिए तू सफ़ाई देता है

है अज़ब खैरख़्वाह मेरा तबीब
ज़हर देकर दवाई देता है

मेरी बर्बादियों पे अब 'बिंदास'
दोस्त मुझको बधाई देता है
© ✍️शैलेन्द्र 'बिंदास'