सब कुछ नया सा
#शहरीदृश्यकाव्य
आंखों को सब कुछ नया सा लगे है
जब मेरे पाँव शहर में चले हैं।
ऊंची इमारतें आसमान से करती बातें
ज़मीन पर गाड़ियों के रेले लगे हैं।
भागती दौड़ती ज़िन्दगी व्यस्तता के साथ,
सांस लेने की भला किसे फुर्सत मिले है।
जुबां पर पानी ले आते खाने के आइटम
लाइन से यहाँ...
आंखों को सब कुछ नया सा लगे है
जब मेरे पाँव शहर में चले हैं।
ऊंची इमारतें आसमान से करती बातें
ज़मीन पर गाड़ियों के रेले लगे हैं।
भागती दौड़ती ज़िन्दगी व्यस्तता के साथ,
सांस लेने की भला किसे फुर्सत मिले है।
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