...

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# अजनबी सा दिल
कभी कभी दिल अजनबी सा लगता है
हैरान होजाऊं ऐसी फरमाइशें करने लगता है

भीड़ से न जाने क्यों डर सा लगता है
अकेला कमरा ही महफिलों सा लगता है

अपनों की ही आवाज़ों में शोर सा लगता है
पुराणी तस्वीरों की मुस्कुराहटों में चैन सा लगता है

बदलते तेवरों से मन्न परेशां सा लगता है
तलाश ये है की अब दिल कहाँ लगता है

© khush rang rina