मन की बात
#छिपेविचार
स्वीकार मुझे हर इल्जाम
तोडा मैंने घर परिवार
रहने को था चार दीवार
परिवार में न थे दो-चार
मिल कर बनाने का न था
कोई आधार, सबका था
एक ही व्यापार, कैसे करते
सब साथ संसार, कोविड ने
भी हिला दिया, व्यापार पर
रोक...
स्वीकार मुझे हर इल्जाम
तोडा मैंने घर परिवार
रहने को था चार दीवार
परिवार में न थे दो-चार
मिल कर बनाने का न था
कोई आधार, सबका था
एक ही व्यापार, कैसे करते
सब साथ संसार, कोविड ने
भी हिला दिया, व्यापार पर
रोक...