...

4 views

ग़ज़ल
रौनक़ - ए- महफ़िल- ए- आरज़ू कुछ नहीं
मैं रहूँ तू रहे चार सू कुछ नहीं

कर रहे हैं तलब एक दूजे को हम
जबकि मैं कुछ नहीं और तू कुछ नहीं

दिल...