अज़ब-गज़ब अबूझे रिश्ते
अज़ब-गज़ब अबूझे रिश्ते
न बनते हैं न बिगड़ते हैं
बस एक अदृश्य डोर से
बंधे रहते हैं
इनका कोई नाम नहीं होता
इनके कोई साथ नहीं होता
दुनियादारी का कोई पेंच नहीं होता
मन से मन छूता है इतना कि
रिश्ता कभी नहीं बिखरता
दिल से दिल मिलता है इतना कि
धड़कन को पता है रहता
कौन क्या समझता है
कौन क्या सोचता है
इससे कोई वास्ता नहीं रहता
किसी को नहीं पता रहता
होते हैं गुमशुदा ये रिश्ते
अज़ब-गज़ब अबूझे रिश्ते ।
© Geeta Yadvendu
न बनते हैं न बिगड़ते हैं
बस एक अदृश्य डोर से
बंधे रहते हैं
इनका कोई नाम नहीं होता
इनके कोई साथ नहीं होता
दुनियादारी का कोई पेंच नहीं होता
मन से मन छूता है इतना कि
रिश्ता कभी नहीं बिखरता
दिल से दिल मिलता है इतना कि
धड़कन को पता है रहता
कौन क्या समझता है
कौन क्या सोचता है
इससे कोई वास्ता नहीं रहता
किसी को नहीं पता रहता
होते हैं गुमशुदा ये रिश्ते
अज़ब-गज़ब अबूझे रिश्ते ।
© Geeta Yadvendu