मेरा पहला प्यार
अजनबी था,
पर थी मेरी ही पहचान उसमे,
जो देख ले एकबार,
सुकून के सागर में,
दिल डूब जाए,
उससे पहली मुलाकात ,
याद है मुझे आज भी,
आँखों में शर्म थी ,
और दिल में ज़ुबान,
काँपते थे होंठ उसके
पर रुक से
जाते थे उसके
अल्फ़ाज़ वहां,
बिना दीदार,
बातें होने लगीं
उससे हज़ार,
दिल यूँ मेरा भी,
गया...
पर थी मेरी ही पहचान उसमे,
जो देख ले एकबार,
सुकून के सागर में,
दिल डूब जाए,
उससे पहली मुलाकात ,
याद है मुझे आज भी,
आँखों में शर्म थी ,
और दिल में ज़ुबान,
काँपते थे होंठ उसके
पर रुक से
जाते थे उसके
अल्फ़ाज़ वहां,
बिना दीदार,
बातें होने लगीं
उससे हज़ार,
दिल यूँ मेरा भी,
गया...