...

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लाइट-हाउस
झूठों के रास्ते में
सच्चाई का पत्थर अडिग खड़ा था,
झूठ के रेगिस्तान में मानों
मील का पत्थर अड़ा था,

झूठ रकबे में, मगर
सच में वज़न बड़ा था,
मानों झूठ पीली पीतल
और सच सोना खरा था,

झूठों का वास्ता इस बार
किसी सादिक़ से पड़ा था,
मानों भेड़ियों का पाला इस बार
किसी बब्बर शेर से पड़ा था,

झूठ काली रात की तरह और
सच रोशन दीये सा जड़ा था,
मानों अँधेरे साहिल पे कहीं 'इमरान'
लाइट हाउस सा खड़ा था

लाइट-हाउस ~ प्रकाश घर
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