देह व्यापार
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
इसका प्यासा बड़ा व्यापारी है,
जिसके बदन में न जाने...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
इसका प्यासा बड़ा व्यापारी है,
जिसके बदन में न जाने...