जीवचक्र
आँखो से "पर्दा" उठ चुका, मुख से निकसी गोल मुख हवाएं
समझदारी थोड़ी और बड़ी,कल की बातें "मन" आज समझाए
वो किमत शायद समझे आज है, " जो बरसो पहले थे कमाए"
जीवन क्या इतना आसान है? अपने घर पर ही पूछकर बताएं
काश ! वो दिन वापस आते, लगभग "करोड़ों" के ख्वाब है
झरनो से बहा वो पानी, पूर्ण रूप से 'वापस' लाना जवाब है
वो नजर बरोबर आज आया, "जो देखा...
समझदारी थोड़ी और बड़ी,कल की बातें "मन" आज समझाए
वो किमत शायद समझे आज है, " जो बरसो पहले थे कमाए"
जीवन क्या इतना आसान है? अपने घर पर ही पूछकर बताएं
काश ! वो दिन वापस आते, लगभग "करोड़ों" के ख्वाब है
झरनो से बहा वो पानी, पूर्ण रूप से 'वापस' लाना जवाब है
वो नजर बरोबर आज आया, "जो देखा...