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जीवचक्र
आँखो से "पर्दा" उठ चुका, मुख से निकसी गोल मुख हवाएं
समझदारी थोड़ी और बड़ी,कल की बातें "मन" आज समझाए
वो किमत शायद समझे आज है, " जो बरसो पहले थे कमाए"
जीवन क्या इतना आसान है? अपने घर पर ही पूछकर बताएं

काश ! वो दिन वापस आते, लगभग "करोड़ों" के ख्वाब है
झरनो से बहा वो पानी, पूर्ण रूप से 'वापस' लाना जवाब है
वो नजर बरोबर आज आया, "जो देखा शायद सालों पहले"
जीवन क्या इतना आसान है? वृद्धों से ही सुनलो जो कह रहे

में सबसे खराब हूँ, जीवन में एक पल यह जरूर जीवसोच है
किताबें उठाकर देखलो,जहाँ हो,वो दूरी तक कितनी पहुंचक है
वो समझ शायद आज आए, जो बातें सुन रहे, कई सालों से
जीवन क्या आसान है?हारवक्ता अज्ञान कार्यपथ परिणाम है?

आज वर्तमान कामचलाओ है,बेहतर तो बीते कल में चला गया
सोचे उदास होते कितने,नाकि सोचते अनेक जो कल आनेवाले
वो डाँट के दवा काम की बहुत आज, जो खा रहे थे, सालों से
जीवन आसान है?सदेव तुम सही हो?अपनाही जीवराह देखलो
ADITYA PANDEY©