...

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याद चुपके
कल आई थी उसकी याद चुपके
करने को फिर मुलाक़ात चुपके.............!

एक कोने में मेरा दिल पड़ा था
उठा लाई थी वो मेरे पास चुपके........... !

बेजान सा टुकड़ा धड़क उठा था
लौट आई थी उसमें सांस चुपके...........!

खामोशी उदासी और इक तड़प
सब घुलने लगे थे एहसास चुपके .........!

आ गया था सामने माज़ी मिरा
मैं खूब बरसा कल रात चुपके ..............!

कौन बिखरता है ऐसे भला
जैसे बिखरी मिरी कायनात चुपके ........!

© samrat rajput

#Gazal #yaad #Tadap