...

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" नहीं चाहते हो "
" नहीं चाहते हो "

हमेशा रोते ही रहना अपने जीवन के दुख पर तुम और ढोल बजाते रहो क्योंकि उसके अलावा कुछ देखना और महसूस करना ही नहीं चाहते हो..!

खुद भी तकलीफ़ में रहो और सामने वाले रिश्तों को भी तकलीफ़ देते रहो..!

आख़िर कब तक यूँ ही रोते रहोगे..?
आख़िर कब तक यूँ सामने वाले को दोषी ठहराते रहोगे..?

कभी खुद को टटोल कर तो देखो कि तुम में क्या ऐब है..?
सारा क़ुसूर सामने वाले का तो नहीं होता है..!
ताली एक हाथ से नहीं बजाई जाती ना..!

सामने वाले से जाने अंजाने में गलती हो गई होगी लेकिन तुम उसे बार बार दोहरा कर अथवा एहसास दिलाकर सामने वाले के दिल और आत्मा को पांव तले रौंदते जा रहे हो..!

यह सामने वाले शख़्स पर बार बार कील ढोंकने के तुल्य कष्ट नहीं है क्या..?
आख़िर कब तक यूँ ही चलता रहेगा..?

खुशी को चुनोगे तभी खुश रहोगे..
दुख को चुनोगे तो दुख ही मिलेगा..
अब क्या चुनना चाहोगे..?
यह तुम्हारे स्वयं के हाथ में है..!

🥀teres@lways 🥀