" नहीं चाहते हो "
" नहीं चाहते हो "
हमेशा रोते ही रहना अपने जीवन के दुख पर तुम और ढोल बजाते रहो क्योंकि उसके अलावा कुछ देखना और महसूस करना ही नहीं चाहते हो..!
खुद भी तकलीफ़ में रहो और सामने वाले रिश्तों को भी तकलीफ़ देते रहो..!
आख़िर कब तक यूँ ही रोते रहोगे..?
आख़िर कब तक यूँ सामने वाले को दोषी ठहराते रहोगे..?
कभी खुद को टटोल कर तो देखो कि...
हमेशा रोते ही रहना अपने जीवन के दुख पर तुम और ढोल बजाते रहो क्योंकि उसके अलावा कुछ देखना और महसूस करना ही नहीं चाहते हो..!
खुद भी तकलीफ़ में रहो और सामने वाले रिश्तों को भी तकलीफ़ देते रहो..!
आख़िर कब तक यूँ ही रोते रहोगे..?
आख़िर कब तक यूँ सामने वाले को दोषी ठहराते रहोगे..?
कभी खुद को टटोल कर तो देखो कि...