अस्थिर मन
ए मन तु क्या चाहता
क्यों उसके लिए बेकरार रहता
जो चाहता नही जीवन में अपने
क्यों उसी से हद से ज्यादा प्यार करता
ए मन तु क्या चाहता
हर सपना सुंदर होता
करना उसे साकार चाहता
पर सपना सपना ही होता...
क्यों उसके लिए बेकरार रहता
जो चाहता नही जीवन में अपने
क्यों उसी से हद से ज्यादा प्यार करता
ए मन तु क्या चाहता
हर सपना सुंदर होता
करना उसे साकार चाहता
पर सपना सपना ही होता...