तुम!
सुनो प्रिय,
तुमपे कोई मुक्तक लिखूँ,
या तुम्हें,
मृगशीर्ष का तारक लिखूँ,
प्रत्येक श्वास में,
जो जीवन भर देता,
उस उत्साह का...
तुमपे कोई मुक्तक लिखूँ,
या तुम्हें,
मृगशीर्ष का तारक लिखूँ,
प्रत्येक श्वास में,
जो जीवन भर देता,
उस उत्साह का...