बदलता जा रहा हुँ
ज़र्रा ज़र्रा बिखरता हुआ खुद को समेटे जा रहा हूँ
मै पहले कैसा था और अब कैसा बनता जा रहा हुँ
दर्द से दिल दुखता है इतना की एक चीख निकल उठती है
खुद ही...
मै पहले कैसा था और अब कैसा बनता जा रहा हुँ
दर्द से दिल दुखता है इतना की एक चीख निकल उठती है
खुद ही...