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शीर्षक- ये किताबें
शीर्षक- ये किताबें

ये किताबें कितनी सारी कहानियाँ संभाल कर रखती हैं।
ये किताबें गुजरे हुए अतीत को, सँवार कर रखती है।
ये किताबें बोलती हैं उनसे, जो इन्हें पढ़ना चाहते हैं।
ये स्वप्न पूरे करती हैं उनके, जो कुछ बनना चाहते हैं।

ये अपने पन्नों में छिपा कर रखती हैं, शब्दों की अनुपम महिमा,
ये भूत से भविष्य को बदलना चाहती हैं।
इन्हें खोल कर तो देखो, कितनी सुनहरी और सच्ची वस्विकता है इनमें,
ये सिर्फ किताबें नहीं हैं, ये एक सच्चे साथी की भाँति हमारे साथ चलना चाहती हैं।

ये रंग- बिरंगी पृष्ठों से सजी- धजी हुई, मुस्काती हुई आती हैं हमारे पास,
इन्हें सजावट की वस्तु न समझना,
ये नन्हें से बच्चे की तरह, हमारे हाथों के पालने में झुलना चाहती हैं।

ये कभी उदास नहीं होने देती, कभी आश नहीं खोने देती,
ये प्रेम, सदव्यव्हार का बीज बोती हैं जीवन में, ये आपको कभी नहीं रोने देती।

ये किताबें असीम अलौकिक शांति प्रदान करती हैं,
ये किताबें ही हैं जो हमारे सपनों का ध्यान रखती हैं।
कभी गले लगा कर देखो इन्हें, ये हमारे आशुओं का भी मान रखती हैं।
ये किताबें सिर्फ किताबें नहीं होती, ये हमारे चरित्र का प्रमाण होती हैं।
ये किताबें हमारे व्यवहार की पहचान होती हैं।
ये किताबें सिर्फ किताबें नहीं , कुछ पन्नों में पूरा जहान होतीं हैं।
रिया दुबे
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